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इंसान गढ़ने वाले महान कलाकार-जनशिक्षक का नाम था: लालबहादुर वर्मा

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जो कोई थोड़ा भी नजदीक से या उनके चाहने वालों के जुबानी लालबहादुर वर्मा को जनता रहा होगा, वह उनके बारे में दावे से कह सकता है कि इंसान गढ़ने वाले एक महान कलाकार और जनशिक्षक थे। उन्होंने एक नहीं, दो नहीं,... सौ नहीं हजारों इंसान गढ़े हैं, जो आज भी आंखों में खूबसूरत दुनिया का ख्वाब लिए अपने-अपने तरीके से बेहतर दुनिया बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं। ये उत्तर भारत हर कहीं, मिल जाते हैं। उन्होंने सैकड़ो पेशेवर क्रांतिकारी गढ़े, उन्होंने सैकड़ों जमीन एक्टिविस्ट गढ़े, उन्होंने नाटकार गढ़े, गीतकार गढ़े और कवि-लेखक गढ़े। सबसे बड़ी बात यह कि उन्होंने लड़कियों-महिलाओं की एक पूरी पीढ़ी तैयार की, जो अपने-अपने तरीके से बेहतर दुनिया गढ़ रही हैं और साथ ही पितृसत्ता को चुनौती दे रही हैं। उनमें से बहुत सारी आज भी बेहतर दुनिया के लिए लड़ रही है, कुछ जेल की सलाखों के पीछे वर्षों गुजार चुकी हैं, लेकिन क्रांतिकारी परिवर्तन का उनका सपना अभी भी जिंदा है। लालबहादुर वर्मा के आंखों में न्याय, समता , बंधुता और सबकी समान समृद्धि पर आधारित समाज का एक ख्वाब था, कभी इसे वे समाजवाद के नाम पर परिभाषित करते थ

क्या आप फ़ातिमा शेख़ का नाम और शिक्षा में उनका योगदान जानते हैं?

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क्या आप फ़ातिमा शेख़ का नाम जानते हैं ? आईये जानते हैं , उनके बारे में। फ़ातिमा शेख़   फातिमा शेख का जन्म 9 जनवरी , 1831 को पुणे में हुआ था। वे आधुनिक भारत की संभवतः पहली मुस्लिम शिक्षिका थीं। फ़ातिमा शेख़ मियां उस्मान शेख की बहन थी , जिनके घर में ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले ने निवास किया था , जब फुले के पिता ने दलितों और महिलाओं के उत्थान के लिए किए जा रहे उनके कामों की वजह से उनके परिवार को घर से निकाल दिया था।   वह आधुनिक भारत में सबसे पहले महिलाओं और वंचित समुदाय के लिए शिक्षा के लिए कार्य करने वाली महिलाओं में से एक थी ।  ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले ने फातिमा शेख के साथ मिलकर , दलित और वंचित समुदायों में शिक्षा के प्रसार के लिए काम किये।   फ़ातिमा शेख़ और सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं और उत्पीड़ित जातियों के लोगों को शिक्षा देना शुरू किया। इनकी जोड़ी ने बहुत सी महिलाओं को प्रेरित किया और वे शिक्षा ग्रहण कर सकीं। साथ ही महिल