इंसान गढ़ने वाले महान कलाकार-जनशिक्षक का नाम था: लालबहादुर वर्मा
जो कोई थोड़ा भी नजदीक से या उनके चाहने वालों के जुबानी लालबहादुर वर्मा को जनता रहा होगा, वह उनके बारे में दावे से कह सकता है कि इंसान गढ़ने वाले एक महान कलाकार और जनशिक्षक थे। उन्होंने एक नहीं, दो नहीं,... सौ नहीं हजारों इंसान गढ़े हैं, जो आज भी आंखों में खूबसूरत दुनिया का ख्वाब लिए अपने-अपने तरीके से बेहतर दुनिया बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं। ये उत्तर भारत हर कहीं, मिल जाते हैं। उन्होंने सैकड़ो पेशेवर क्रांतिकारी गढ़े, उन्होंने सैकड़ों जमीन एक्टिविस्ट गढ़े, उन्होंने नाटकार गढ़े, गीतकार गढ़े और कवि-लेखक गढ़े। सबसे बड़ी बात यह कि उन्होंने लड़कियों-महिलाओं की एक पूरी पीढ़ी तैयार की, जो अपने-अपने तरीके से बेहतर दुनिया गढ़ रही हैं और साथ ही पितृसत्ता को चुनौती दे रही हैं। उनमें से बहुत सारी आज भी बेहतर दुनिया के लिए लड़ रही है, कुछ जेल की सलाखों के पीछे वर्षों गुजार चुकी हैं, लेकिन क्रांतिकारी परिवर्तन का उनका सपना अभी भी जिंदा है। लालबहादुर वर्मा के आंखों में न्याय, समता , बंधुता और सबकी समान समृद्धि पर आधारित समाज का एक ख्वाब था, कभी इसे वे समाजवाद के नाम पर परिभाषित करते थ